India has always impressed foreign countries with its knowledge. At present, India’s growing influence at the international level has made every Indian proud. Such schools in the country where, along with the knowledge of national civilization-culture and high ideals of life in national language, feelings of self-respect and respect for our great men, their good deeds and their glorious traditions can be awakened in the lives of boys / girls, Keeping this point of view in mind, the first “Saraswati Shishu Mandir” was inaugurated in Gorakhpur in 1952 under the supervision of Vidya Bharati. Gradually, the light of the scheme spread its rays all over India.
In the memory of renowned social worker revered Bhaurao Deoras ji, on 4 December 1994, the foundation stone of “Bhaurao Deoras Saraswati Vidya Mandir” was laid by the hands of Hon’ble Atal Bihari Vajpayee ji (former Prime Minister and then Leader of Opposition) in Sector-12, Noida. The school is recognized by the Central Board of Secondary Education (C.B.S.E.)
भारत ने सदा से अपने ज्ञान से विदेशों को प्रभावित किया है। वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के बढ़ते प्रभाव ने प्रत्येक भारतीय का सिर गर्व से ऊँचा किया है । देश में ऐसे विद्यालय जहाँ राष्ट्रभाषा में, राष्ट्रीय सभ्यता-संस्कृति एवं जीवन के उच्चादर्शों के ज्ञान के साथ-साथ बालक/ 5/बालिकाओं के जीवन में अपने महापुरुषों, उनके सत्कर्मों एवं उनकी गौरवशाली परम्पराओं के प्रति स्वाभिमान व सम्मान के भाव जागृत किए जा सके, इसी दृष्टिकोंण को ध्यान में रखते हुए विद्या भारती की देखरेख में गोरखपुर में सन 1952 में प्रथम “सरस्वती शिशु मंदिर” का शुभारम्भ किया गया । शनैः शनैः योजना के प्रकाश ने सम्पूर्ण भारत में अपनी किरणें बिखेर दीं ।
प्रसिद्ध समाजसेवी श्रद्धेय भाऊराव देवरस जी की स्मृति में 4 दिसंबर सन 1994 में सैक्टर-12, नोएडा में “भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर” का भूमि पूजन माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी (पूर्व प्रधान मंत्री एवं तात्कालीन नेता प्रतिपक्ष ) के करकमलों द्वारा हुआ । विद्यालय को केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (C.B.S.E ) से मान्यता प्राप्त है ।